बचाव के लिए योग-प्राणायाम करते रहे 

 




जनता का कर्फ्यू और करोना कल आमने-सामने हो गए। मनुष्य की बीमारी और स्वास्थ्य के इतिहास में ये 14 घंटे मिसाल बन गए। करोना के लक्षण-परीक्षण पर खूब लिखा और बोला जा रहा है। भागवत में एक प्रसंग आता है कलियुग और राजा परीक्षित के बीच संवाद का। कलियुग प्रवेश करना चाह रहा था, परीक्षित उसे रोक रहे थे कि मेरे रहते हुए तुम प्रवेश नहीं कर सकते। तुम अधर्म के बंधु हो। तुम यदि प्रवेश करोगे तो मनुष्य के जीवन में दुर्गुण- दुराचार उतरेगा। आगे उन्होंने कहा- ‘अंत: बहि: वायु: इव एष: आत्मा’।


परमात्मा समस्त प्रणियों में वायु के रूप में बहता है, रहता है। अब हम सब इस बात पर ध्यान दें कि ईश्वर वायु के रूप में हमारे भीतर बहता है। करोना के लक्षण पकड़ने के लिए डाॅक्टर कहते हैं गहरी सांस लेकर अपने फेफड़ों में भर लीजिए और देखिए कितनी देर तक इसे रोक सकते हैं। जो ग्रसित व्यक्ति होगा, वह पांच-दस सेकंड भी नहीं रोक पाएगा। जो रोक सकते हैं, मानकर चलिए, करोना के लक्षण नहीं हैं। वायु भीतर रुक जाए इसका मतलब है परमात्मा भीतर रुकता है।


परमात्मा एक आत्मविश्वास है, मनोबल है। परमात्मा को भीतर उतारने और करोना जैसे रोग से बचे रहने का एक और सहज तरीका हो सकता है योग। लगातार योग-प्राणायाम करते रहिए..। यह सच है कि इसे उपचार नहीं कह सकते, लेकिन बचाव अवश्य होगा और इस समय अधिकांश लोगों के लिए तो बचाव ही उपचार है..।